औरंगाबाद जिला का इतिहास क्या है।(What is history of Aurangabad district)
औरंगाबाद (बिहार) का इतिहास काफ़ी समृद्ध और बहुस्तरीय है, क्योंकि यह इलाका प्राचीन मगध क्षेत्र का हिस्सा रहा है और यहां कई राजवंशों, विद्रोहों, और सांस्कृतिक परिवर्तनों का गवाह रहा है।मैं इसे तीन हिस्सों में समझाऊँगा — प्राचीन काल, मध्यकाल, और आधुनिक काल/विकास।
1. प्राचीन काल
मगध महाजनपद का हिस्सा – वर्तमान औरंगाबाद इलाका प्राचीन काल में मगध महाजनपद में आता था। मगध की राजधानी कभी पास के राजगृह और फिर पाटलिपुत्र (पटना) में रही।मौर्य और गुप्त साम्राज्य – मौर्य (चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक) और गुप्त साम्राज्य के समय यहां व्यापार, कृषि, और बौद्ध संस्कृति का विकास हुआ।धार्मिक प्रभाव – बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों का प्रभाव यहां पड़ा। गुप्तकाल के बाद यहाँ हिन्दू धर्म का पुनर्जागरण भी हुआ।
2. मध्यकाल
दिल्ली सल्तनत और मुग़ल काल – 12वीं–16वीं सदी में इस क्षेत्र पर मुस्लिम शासकों का अधिकार हुआ। मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के नाम पर ही इस जिले का नाम “औरंगाबाद” पड़ा (यह नाम मुग़ल शासनकाल में पड़ा, हालांकि यह प्रशासनिक इकाई बहुत बाद में बनी)।स्थानीय जमींदार – इस समय क्षेत्र में कई छोटे ज़मींदार और राजाओं का प्रभाव था, जो मुग़ल शासन को मान्यता देते थे लेकिन स्थानीय स्तर पर अपनी सत्ता रखते थे।किला और इमारतें – कुछ स्थानीय किले और धार्मिक स्थल इसी दौर के हैं, हालांकि ज़्यादातर अब खंडहर या परिवर्तित रूप में हैं।
3. आधुनिक काल और विकास
अंग्रेज़ी शासन – ब्रिटिश काल में यह इलाका गया ज़िले का हिस्सा था। यहाँ के किसानों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।1857 का योगदान – औरंगाबाद के कई क्रांतिकारियों ने विद्रोह में हिस्सा लिया, खासकर स्थानीय राजाओं और ग्रामीण योद्धाओं ने।जिला गठन – 26 जनवरी 1973 को औरंगाबाद को गया से अलग कर एक स्वतंत्र जिला बना दिया गया।कृषि – यह जिला “धान का कटोरा” कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की मिट्टी और सोन नदी की सिंचाई से धान की खेती खूब होती है। गेहूँ, चना, और गन्ना भी प्रमुख फसलें हैं।सिंचाई और उद्योग – इंद्रपुरी बराज और नहर प्रणाली ने खेती को मजबूती दी। हालांकि भारी उद्योग नहीं हैं, लेकिन छोटे पैमाने पर चावल मिल, ईंट भट्ठे और हस्तशिल्प का काम होता है।शिक्षा – यहाँ कई स्कूल, कॉलेज और अबतक कुछ तकनीकी संस्थान भी बने हैं, लेकिन उच्च शिक्षा और औद्योगिक विकास अभी सीमित है।पर्यटन – उमगा पहाड़ी, देव का सूर्य मंदिर (छठ पूजा का प्रसिद्ध स्थल) और कई प्राचीन मंदिर यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
सारांश
औरंगाबाद का इतिहास प्राचीन मगध सभ्यता से जुड़ा है, जहाँ मौर्य और गुप्त जैसे महान साम्राज्यों का प्रभाव रहा। मध्यकाल में यह मुग़ल शासन के अधीन रहा और आधुनिक काल में स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बना। 1973 में यह एक स्वतंत्र जिला बना और आज यह मुख्यतः कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।
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