भारत में पेट्रोल पंप (Fuel Stations) का इतिहास क्या है?

 भारत में पेट्रोल पंप (Fuel Stations) का इतिहास स्वतंत्रता से पहले के दौर से जुड़ा हुआ है। इसका विकास धीरे-धीरे औद्योगिकीकरण, परिवहन के विस्तार, और ऊर्जा जरूरतों के अनुसार हुआ। नीचे इसका विस्तृत इतिहास दिया गया है:



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🛢️ भारत में पेट्रोल पंप का इतिहास


🔹 प्रारंभिक दौर (1920 के दशक)


भारत में पहला पेट्रोल पंप 1928 में मुंबई (तत्कालीन बंबई) में Burmah Shell कंपनी द्वारा शुरू किया गया था।


उस समय पेट्रोल और अन्य ईंधनों की आपूर्ति विदेशों से होती थी और इन्हें सीमित मात्रा में बेचा जाता था।



🔹 ब्रिटिश काल में तेल कंपनियाँ


ब्रिटिश शासन के दौरान कुछ प्रमुख विदेशी कंपनियाँ सक्रिय थीं:


Burmah Shell


Standard Vacuum (Esso)


Caltex



इन कंपनियों ने भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति, वितरण और विपणन की शुरुआत की।



🔹 स्वतंत्रता के बाद (1947–1970s)


स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने तेल क्षेत्र को रणनीतिक क्षेत्र माना।


1956 की औद्योगिक नीति के तहत पेट्रोलियम को Public Sector में लाया गया।


इस दौरान सरकार ने कई कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया:


1964 – Indian Oil Corporation (IOC) की स्थापना।


1976 – Burmah Shell का राष्ट्रीयकरण और इसका नाम Bharat Petroleum Corporation Limited (BPCL) रखा गया।


1976 – Esso और Caltex का विलय और राष्ट्रीयकरण कर Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) बनाई गई।





🔹 1990s: उदारीकरण और निजीकरण का दौर


1991 के आर्थिक सुधारों के बाद निजी कंपनियों को भी पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति दी गई।


प्रमुख निजी कंपनियाँ:


Reliance Petroleum


Essar Oil (अब Nayara Energy)


Shell India




🔹 वर्तमान समय (2000s–2020s)


अब भारत में लगभग 85,000+ पेट्रोल पंप हैं (2025 तक अनुमान)।


तीन प्रमुख सरकारी कंपनियाँ:


Indian Oil (IOC) – सबसे बड़ी नेटवर्क


BPCL


HPCL



निजी कंपनियाँ भी तेजी से विस्तार कर रही हैं, जैसे:


Reliance


Nayara Energy


Shell



अब इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन और CNG/LPG स्टेशनों की संख्या भी बढ़ रही है।



🚗 पेट्रोल पंप का विकास किन कारणों से हुआ?


1. परिवहन क्षेत्र का विकास



2. औद्योगिकीकरण



3. शहरीकरण और मोटर वाहनों की संख्या में वृद्धि



4. ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच बनाने की सरकारी योजना



🏁 भविष्य की दिशा


इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बढ़ने से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा।


बायोफ्यूल और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे विकल्प भी सामने आ रहे हैं।


पेट्रोल पंप मल्टी-फ्यूल स्टेशन बन रहे हैं (Petrol + Diesel + CNG + EV Charging)।




अगर आप किसी विशेष कंपनी या समयावधि के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो बताएं।


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